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क्या होगा अगर बारिश एक ही विशालकाय बूंद में पृथ्वी पर गिरे ?





बारिश की वजह से ही पेड़, पौधे और सारी जमीन हरी भरी लगती है पर कभी कभी यह बारिश लगातार कई दिनों तक बरसती रहेती है तभी हमारे मन में सवाल आता होगा की यह बारिश कब तक चलती रहेगी, आखिर बादलो में कितना पानी है? यह पानी आखिर बूंद-बूंद के रूप में ही क्यों गिरती है. अगर यही अनगिनत बुँदे गिरने की जगह सिर्फ एक ही विशालकाय बूंद के रूप में पृथ्वी पर गिरे तो क्या होगा? सवाल जरुर पेचीदा है लेकिन बहोत ही रोमांचक और Interesting है.
लेकिन चलिए इमेजिन करते है की आंधी-तूफान के कारन एक 100 by 100 किलोमीटर के बादल की पूरी नमी एक साथ पानी में Condense होने लगती है. जब एसा होगा तब पूरा का पूरा बादल ही पानी का एक विशालकाय बूंद बन जायेगा और इस बूंद का निचला हिस्सा बहार की और निकल जायेगा.
शुरआत में तो वो सिर्फ 90 मीटर/सेकंड की स्पीड से निचे आएगी जो कुछ ही समय में ग्रेविटी के कारन करीब 200 मीटर/सेकंड्स की रफ़्तार में कन्वर्ट हो जाएगी. और जब पुरे बादल का सारा पानी एक साथ Condense हो जायेगा तब वो पुरे 450 मीटर/सेकंड्स यानि की 1620 किलोमीटर/सेकंड्स की रफ़्तार से निचे की और बढ़ेगी.

इसकी इतनी ज्यादा स्पीड के कारन जैसे ही वो बूंद पृथ्वी के वातारवर में प्रेवश करेगी तब वो पृथ्वी के atmosphere के कारन गर्म हो ने लगेगा. जैसे ही इस विशालकाय बूंद की पृथ्वी से टक्कर होगी तब हवा इतनी गर्म हो चुकी होगी की आसपास की सुकी लकडिया, घास और पेड़-पौधों में आग की चिंगारी उत्पन्न हो जाएगी.

लेकिन यह आग ज्यादा देर तक नहीं रहेगी क्यूंकि इस विशालकाय बूंद के अन्दर भरा ठंडा पानी की झर इस आग को बुझ देंगी. लेकिन मुसीबत की शुरआत तो अब होगी. क्यूंकि जो विशालकाय बूंद के अन्दर पानी होगा वो करीब 2000 किलोमीटर/घंटे की रफ़्तार से बहार निकलेगा जब सुनामी आती है तो इस्की स्पीड भी केवल 800 किलोमीटर/घंटा ही होती है.
यह पानी अंदाजित 20 से 25 किलोमीटर तक जायेगा यानि की इतने दाइरे में आने वाली सभी ऊँची बिल्डिंग और चीजो को तबाह कर देगा. 25 किलोमीटर तक आने वाली हर चीजो की यह पानी नस्ट कर देगा. यह पानी धीरे धीरे आगे भी बढेगा. इस पानी की वजह से इतना नुकसान होगा की कई महीने और कई करोडो रूपये लग जाएगे इस से उभरने में.

अगर इस बूंद के गिरने पर आप कई खुल्ले मैदान में खड़े हो और वहा पर यह बूंद गिरती है तो आप को सोचने ताका का समय भी नहीं मिलेगा और पलक जपकते ही गहेरे पानी में चले जाओगे जिससे तैरकर बहार निकलना असम्भव हो जायेगा और पानी के खतरनाक प्रेशर की वजह से वही पर मोत हो जाएगी.

खैर यह तो सिर्फ अनुमान लगाया था की क्या होगा अगर एक साथ पानी की विशाल बूंद पृथ्वी पर गिरे लेकिन एसा होना एक साथ संभव नहीं है पर आंधी के चलते इस का 10% भी बूंद में परिवर्तन हुआ तो काफी तबाही मच सकती है.



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